के .रवि ( दादा ) .
उस आनंद-सरोवर मे है, उठी तरंगे आनंद की ही ॥१॥ आनंद जल है, वही तरंग है, अंग-अंग आनंद मात्र ही । अहा ! क्या कहूँ कैसा अनुभव ! आनंद ही है, अन्य कुछ नहीं ॥२॥ एक स्थान का, एक हृदय का, सुख दूजे पर अंकित होता । शिशु की इच्छा ही माता का दोहद बनकर बिंबित होता ॥३॥ तुका कहे आनंद हृदय का, कविता-अभंग बन जाता है । दिव्य अलौकिक ब्रह्मानंद ही, वाणी पर बरबस आता है ॥४॥
यह पंक्तियां देश के संत तुकाराम महाराज जी के भजन की है . शायद ही इन पंक्तियों के लब्जो में से कुछ लब्ज हम जैसे इस इक्कीसवीं सदी के युवा के पल्ले शायद ही पड़ेंगे .पर इसी तरह पर हम आज एक ख़बर पाठको तक पहुंचा रहे हैं के महाराष्ट्र के एक उम्रदराज राष्ट्रिय किर्तनकार ने अपनी उम्रदराज मां के देहांत की खबर पाने पर भी वे यशोगान सुनाने श्रोताओं के बीच पहुंच गए .
महाराष्ट्र के अकोट जिला के अकोला के जिजामाता चौक मेंके एक मकान में 92 साल की श्रीमती . सुशिलाबाई विश्वनाथ चिंचोलकर जी का लंबी बीमारी के कारण निधन हो गया .इसी पल इनके बड़े बेटे राष्ट्रीय किर्तंनकार सप्तखंनजेरीवादक प्रबोधन सम्राट सत्यपाल महाराज को रात 7 बजे ही उनके डॉक्टर . बेटे धर्मपाल के ज़रिए भ्रमंनध्वनी से संदेशा मिला के उनकी मां का देहांत हो गया .पर उस पल महाराज अकोट के वर्धा जिला के तरोड़ा गाव में यशो गा के लिए गए थे .पर आज का जो महाराज का यशो गान का इवेंट था ,उन व्यवस्थापकों ने करीब देढ़ साल पहले ही बुक किया था .और हमेशा की तरह आज के भी इस खुले कीर्तन के कार्यक्रम को सुनने के लिए करीबन 20 हज़ार लोग इक्कठा हुए थे .उस कारण सत्यपाल महाराज ने जनता जनार्दन का पुरी तरह विचार करके अपने डॉक्टर बेटे धर्मपाल के आए हुए मोबाइल पर यह संदेशा दिया के माता का देहदान और नेत्रदान करने का प्रेरणादाई इच्छासंकल्प पूरे करने को कहा . साथ ही यह भी हम कहा के हम जल्द घर नहीं पहुंच सकते .आप हमारी सारी सूचनाएं पुरी करे .हम कोशिश करेंगे के जल्द ही घर पहुंच जाएंगे . किर्तनकार पिता के आदेश के अनुसार बेटे डॉक्टर . धर्मपाल ने तुरंत रात 8 / 30 बजे अपनी दादी के शव को अकोला के मेडिकल कॉलेज में नेत्र एवम् देहदान के लिए के ले जाने की तौयारी की . उससे पहले उनका देह 7 / 15 से 8 / 15 के बीच अकोट के निवासस्थान के पास रखा गया था . प्रकृतिवासी मा सुशीला जी का पार्थिव अकोट से अकोला के लिए निकला ,और सत्यपाल महाराज जी ने मंचपर प्रबोधनात्मक कीर्तन को हज़ारों श्रोताओं की मौजूदगी में शुरुवात की . अकोला के मेडिकल कॉलेज में रात को 10 / 30 बजे चिंचोलकर परिवार के सदस्यो और सैकड़ों .शुभ चिंतको , मान्यवरों की मौजूदगी में
कुदरतवासी मा सुशीला चिंचोलक़र जिनका नेत्र और देहदान पूरा हुआ तो दूसरी ओर तरोड़ा जिला के वर्धा में सत्यपाल महाराज जी का यशोगान का कार्यक्रम भी पूरा हुआ . ऐसी माता और महाराज को शत शत प्रणाम .